जानिये ज्वार-भाटा कैसे होता है? (Know about tides)



ज्वार-भाटा की संकल्पना : समुद्र के सतह का जल-स्तर एक निश्चित अन्तराल पर प्रतिदिन दो बार ऊपर उठता है एवं दो बार नीचे गिरता है। समुद्री जल-स्तर के बारी-बारी से ऊपर उठने एवं नीचे गिरने की क्रिया को ज्वार-भाटा कहते है। ज्वार-भाटा कहते है। ज्वार-भाटा सूर्य ,चंद्रमा तथा पृथ्वी की परस्पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण उत्पन्न होते है।

ज्वार दो प्रकार के होते है :-
1.दीर्घ ज्वार : पृथ्वी अपने अक्ष पर सूर्य के सामने घूमती रहती है तथा चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है। चंद्रमा अपनी परिक्रमा लगभग 27 1/2 दिनों में पूरी करता है इसलिए प्रत्येक महीने की अमावस्या एवं पूर्णिमा के दिन ऐसी स्थितियां आती है जब सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं। इन तिथियों को ज्वार उत्पन्न करने में चंद्रमा एवं सूर्य की सम्मिलित आकर्षण शक्ति का प्रभाव पड़ता है। अतः ज्वार सामान्य ज्वार की तुलना में 20% अधिक ऊंचा उठता है। इसलिए इस ज्वार को दीर्घ ज्वार कहा जाता है।

2.लघु ज्वार : प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की सप्तमी एवं अशटमी के दिन सूर्य , चंद्रमा एवं पृथ्वी तीनों जब समकोण की स्थिति में होते हैं तो सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण शक्तियां एक दूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करती हैं, जिससे जो ज्वार उठता है वह सामान्य ज्वार की तुलना में कम होता है। इसे लघु ज्वार कहते हैं।

ज्वार-भाटा का प्रभाव निम्न है:-
1. ज्वार-भाटा का प्रभाव जलयानों के आवागमन पर अधिक पड़ता है। ज्वार के साथ जलयान बंदरगाह तक आ जाते हैं तथा भाटे के साथ चले जाते हैं। टेम्स तथा हुगली नदियों की ज्वारीय धाराओं के कारण ही क्रमशः लंदन तथा कोलकाता महत्वपूर्ण बंदरगाह हो सके हैं।

2. ज्वार के समय जल तटव्रती प्रदेशों में फैल जाता है। फलस्वरूप किनारे पर जमी मिट्टी , कीचड़ , एवं गंदगियां साफ हो जाती हैं।

3. भाटे की लहर के साथ तट की गंदगी बहकर समुद्र में चली जाती है, जिससे समुद्री जीव -जंतुओं को भोजन प्राप्त होता है।

4. ज्वार के कारण नदियों के मुहाने पर अंदर की ओर दूर तक समुद्र का जल पहूंच जाता है। समुद्र का खारा जल नदी के मीठे  जल के साथ मिलकर उसे शीतकाल में जमने नहीं देता। ऐसे बंदरगाह जिसमें प्रबल ज्वार आते हैं, व्यापार के लिए वर्ष भर खुले रहते हैं। तात्पर्य यह है कि ज्वार -भाटा मछली पकड़ने, व्यापार और नौका संचालन में भी सहायक हैं।

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