तारा मछली:- तारा मछली की बाहुओं की संख्या सामान्यतः पाँच होती है। भुजायें चपटी मोटी पत्ती के समान शरीर से निकल आती है। कभी-कभी इनमें चार अथवा दो भुजायें भी देखा जाता है। एक भुजा के टूट जाने पर वंहा नई भुजा तैयार रह जाती है। तारा मछली की भुजा के भीतरी ओर नरम अंगूली के समान उपांग रहता है। जिसका नाम ट्यूब किट अथवा नालीपद है। ये नालिपद खोखले होते है और इनके अंतिम सिरे पर शोषक होता है। नालिपदो की सहायता से जल खींचकर फिर बाहर निकलकर तारा मछलियां अपना शिकार पकड़ती हैं। जल खींचने पर सामायिक रूप से शून्य उत्पन्न हो जाता है। परिणामस्वरूप शिकार नालिपद में अटक जाता है। इसी नाली पद की सहायता से तारा मछलियां चलती-फिरती हैं। झिनुक इनका प्रिय भोजन है। किसी सीप का संधान पाते ही नालिपद की सहायता से ये सीपियों को ऊपर-नीचे से धार दबोचती है। फलत; सीपियों अपनी खोल से बाहर आ जाने के लिए बाध्य हो जाती हैं।
तारा मछली:- तारा मछली की बाहुओं की संख्या सामान्यतः पाँच होती है। भुजायें चपटी मोटी पत्ती के समान शरीर से निकल आती है। कभी-कभी इनमें चार अथवा दो भुजायें भी देखा जाता है। एक भुजा के टूट जाने पर वंहा नई भुजा तैयार रह जाती है। तारा मछली की भुजा के भीतरी ओर नरम अंगूली के समान उपांग रहता है। जिसका नाम ट्यूब किट अथवा नालीपद है। ये नालिपद खोखले होते है और इनके अंतिम सिरे पर शोषक होता है। नालिपदो की सहायता से जल खींचकर फिर बाहर निकलकर तारा मछलियां अपना शिकार पकड़ती हैं। जल खींचने पर सामायिक रूप से शून्य उत्पन्न हो जाता है। परिणामस्वरूप शिकार नालिपद में अटक जाता है। इसी नाली पद की सहायता से तारा मछलियां चलती-फिरती हैं। झिनुक इनका प्रिय भोजन है। किसी सीप का संधान पाते ही नालिपद की सहायता से ये सीपियों को ऊपर-नीचे से धार दबोचती है। फलत; सीपियों अपनी खोल से बाहर आ जाने के लिए बाध्य हो जाती हैं।
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